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“जलवायु परिवर्तन  से ‘बाल अधिकारों’ का उल्लंघन होता है।”

जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन से 'बाल अधिकारों' का उल्लंघन होता है।

दोस्तो ! क्या तुम  रिद्धिमा पांडे को जानते हो ?

अरे वह आप जैसी ही स्कूल जाने वाली छोटी सी लड़की है। उनके घर उत्तराखंड में सन 2013 में केदारनाथ यात्रा के समय आपदा में हजारों लोग मारे गये थे। उस समय वे मात्र पांच साल की थीं । उनके बाल मन पर इसका गहरा प्रभाव हुआ. उन्हें पता चला कि  विनाश का कारण इन्सान द्वारा प्रकृति के साथ खिलवाड़ हैं। फिर वे दुनिया को पर्यावरण को हो रहे नुकसान से बच्चों पर पड़ने वाले असर के बारे में जागरूक करने लगीं .उन्होंने स्वीडन की ग्रेटा थुनबर्ग सहित दुनिया के 16 बच्चों  के साथ मिल कर  सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समिति  में इस बारे में शिकायत की थी । बच्चों ने कहा कि सदस्य देशों द्वारा जलवायु परिवर्तन पर ठीक से कार्यवाही नहीं से ‘बाल अधिकारों का उल्लंघन’  होता है।

रिद्धिमा ने इससे पहले 2017 में, भारत सरकार पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अर्थात एन जी टी मुकदमा दायर किया था इसमें कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए ‘कार्बन बजट’ और एक जलवायु को ठीक रखने के लिए राष्ट्रीय योजना की बात की थी ।

संयुक्त राष्ट्र में रिद्धिमा (4th Aug)

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