मानसून का मिजाज बदला, अब जून में ही ‘चौमासे’ की चौथाई वर्षा
जलवायु परिवर्तन से मानसून का पैटर्न बदल रहा है। देश के उत्तर-पूर्वी राज्य की पहचान ज्यादा बारिश के कारण थी, वहां बादल कम मेहरबान हैं लेकिन, कम बारिश वाले इलाकों जैसे राजस्थान (रण क्षेत्र) या गुजरात (कच्छ क्षेत्र) में खूब बारिश हो रही है। कम समय में ज्यादा बारिश, एक ही दिन में एक महीने की बरसात हो जाना अब न्यू नॉर्मल (सामान्य) होता जा रहा है। मौसम विश्लेषक मुकेश पाठक कहते है कि मेडन जूलियन ऑसिलेशन, यानी बादलों का एक बड़ा समूह पृथ्वी का चक्कर लगाता रहता है। मानसून के मौसम में यह दो या तीन बार भारत से गुजरता है, उससे भी बारिश होती है।
वडोदरा के महाराज सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय (एमएसयू) के जलवायु परिवर्तन संस्थान एवं शोध केंद्र की रिसर्च में कई रोचक तथ्य सामने आए है। केंद्र ने मौसम विभाग सहित की एजेंसियों से मिले 30 साल के आंकड़ों का अध्ययन किया है। वडोदरा जैसे शहर में अब पूरे चौमासे (बारिश के चार माह) की एक चौथाई बारिश अकेले जून महीने में हो रही है। वर्ष 2005 में जून महीने में 135 मिमी औसत बारिश हुई, जबकि 29 जून 2025 को एक ही दिन में 238 मिमी बारिश हो गई।
चक्रवात का रास्ता भी बदला, अब मध्यप्रदेश से प्रवेश
शोध में पता चला कि जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवात ने भी रास्ता बदला है। ये अब मध्यप्रदेश के रास्ते पश्चिम की ओर बढ़ते हुए गुजरात पहुंच रहे हैं। एक दशक पहले तक चक्रवात तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश होते हुए गुजरात की ओर बढ़ते थे। 15 फरवरी से 15 जून, अक्टूबर, नवंबर व दिसंबर में चक्रवात की संभावना अधिक रहती है। अरब या बंगाल उप महासागर में हर साल चार से पांच ऐसे चक्रवात उत्पन्न होते हैं, जो गुजरात तट सहित तटीय राज्यों को प्रभावित करते हैं
पूर्वी राजस्थान में कल से भारी बारिश का अलर्ट
राज्य में एक बार फिर पूर्वी राजस्थान में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम केन्द्र के अनुसार आठ जुलाई से पूर्वी राजस्थान के जिलों में बारिश की गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी। मध्यम से भारी बारिश की संभावना जताई गई है। भरतपुर, जयपुर संभाग व शेखावाटी क्षेत्र के कुछ भागों में आगामी 2-3 दिन मध्यम से तेज व कहीं-कहीं भारी बारिश होने की संभावना है। बीकानेर संभाग के कुछ भागों में मध्यम दर्जे की बारिश आगामी 2-3 दिन होने की संभावना है।
साभार – पत्रिका न्यूज नेटवर्क