सुनील कुमार महला
हाइड्रोजन एक दीर्घकालिक, पर्यावरण और पारिस्थितिकी के अनुकूल महत्वपूर्ण ईंधन स्त्रोत है जो स्थिर और परिवहन ऊर्जा दोनों क्षेत्रों में ही विकास की असीम संभावनाएं रखता है। जैसा कि हम जानते हैं कि हाइड्रोजन इस ब्रह्मांड में प्रचुरता से पाया जाता है और यह सबसे हल्का तत्व है। हाइड्रोजन वह ईंधन है, जिसमें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की संभावना लगभग-लगभग शून्य है। आज हाइड्रोजन ईंधन पूरी दुनिया का तेजी से ध्यान आकर्षित कर रहा है। भारत भी इनमें से एक है, क्यों कि हाइड्रोजन आज स्वच्छ ऊर्जा का एक आशाजनक स्त्रोत है। दहन के समय हाइड्रोजन ईंधन केवल ऊष्मा और जल का उत्सर्जन करता है, जो कि पर्यावरण के लिहाज से भी अन्य ईंधनों की तुलना में अच्छा है। पाठकों को बताता चलूं कि इस संदर्भ में भारतीय रेलवे ने साल 2030 तक खुद को ‘नेट जीरो कार्बन एमिटर’ बनाने का लक्ष्य रखा है। रेलवे ने इस संदर्भ में नया कदम उठाते हुए देश में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन के लिए पहल की है। उल्लेखनीय है कि यह पहली हाइड्रोजन ट्रेन दिल्ली डिवीजन के 89 किलोमीटर लंबे जींद-सोनीपत रूट पर चलेगी। गौरतलब है कि हाइड्रोजन ट्रेन प्रोजेक्ट पर रेलवे काफी पैसे खर्च कर रहा है और इस साल के बजट में 35 हाइड्रोजन ट्रेनों के लिए 2800 करोड़ रुपये रखे गए हैं। साथ ही, हेरिटेज रूट पर हाइड्रोजन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 600 करोड़ रुपये अलग से दिए गए हैं। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि हाइड्रोजन ईंधन न सिर्फ हमारे पर्यावरण व पारिस्थितिकी तंत्र के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि भारत को ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में भी मदद करेगा। पाठकों को बताता चलूं कि आज विभिन्न भारी वाहनों – जैसे ट्रक, बस, विमान, जहाज और रेलगाड़ी आदि में हाइड्रोजन ईंधन के उपयोग ने एक व्यवहार्य मार्ग प्रशस्त करने में मदद की है ।
आज ग्रीन और ब्लू हाइड्रोजन का निर्माण किया जा रहा है, जिससे उत्सर्जन मुक्त प्रक्रिया बनती है। वर्तमान सौर और पवन प्रौद्योगिकियाँ अभी तक इतनी उन्नत नहीं हैं कि वे भारी-भरकम गतिशीलता वाहनों को शक्ति प्रदान करते हुए जीवाश्म ईंधन को पूरी तरह से प्रतिस्थापित कर सकें। ऐसे में हाइड्रोजन ईंधन एक वरदान साबित हो रहा है, क्यों कि यह हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) का उत्सर्जन किए बिना बहु-टन वाहनों को चलाने के लिए आवश्यक शक्ति उत्पन्न कर सकता है। सच तो यह है कि हाइड्रोजन शून्य उत्सर्जन करता है। हाइड्रोजन की ऊर्जा दक्षता(तापीय दक्षता) कमाल की है। मसलन, उच्च ऊर्जा घनत्व के कारण यह प्रति इकाई द्रव्यमान में बड़ी मात्रा में ऊर्जा संग्रहित कर सकता है।हाइड्रोजन ईंधन सेल आमतौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयुक्त बैटरियों की तुलना में बहुत ही हल्के होते हैं, जिससे भारी-भरकम अनुप्रयोगों में कुल वजन कम करने में मदद मिलती है।प्राकृतिक गैस, बायोमास और सौर और पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा से हाइड्रोजन का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है। हाइड्रोजन ईंधन ऐसा है, जिसमें वाहनों में त्वरित ईंधन भरा जा सकता है। हाइड्रोजन की परिचालन लागत भी ईंधन सेल बैटरियों से काफी कम है । कहना ग़लत नहीं होगा कि हाइड्रोजन स्टील उत्पादन और रासायनिक विनिर्माण जैसे भारी उद्योगों को कार्बन मुक्त करने का मार्ग प्रदान करता है ।
वास्तव में, कार्बन-गहन प्रक्रियाओं को हाइड्रोजन-आधारित प्रौद्योगिकियों से बदलकर, ये क्षेत्र अपने समग्र कार्बन पदचिह्न को महत्वपूर्ण रूप से कम कर सकते हैं और जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों के साथ जुड़ सकते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाइड्रोजन को ईंधन स्रोत के रूप में इस्तेमाल करने से देशों को अपने ऊर्जा पोर्टफोलियो में विविधता लाने और आयातित तेल पर निर्भरता कम करने में मदद मिलती है, जैसा कि आज रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए उन देशों से जुड़े गंभीर जोखिमों को रेखांकित किया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाइड्रोजन-चालित वाहन पारंपरिक दहन इंजन(डीजल, पेट्रोल ) वाहनों की तुलना में काफी कम ध्वनि प्रदूषण पैदा करते हैं। हालांकि, हाइड्रोजन ईंधन भविष्य का ईंधन बन सकता है लेकिन फिर भी कुछ मुद्दे इसके विकास और अपनाने में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं, जिनमें हाइड्रोजन ईंधन उत्पादन की चुनौतियां, इसके वितरण के लिए बुनियादी ढांचा, नेटवर्क विशेष और परिवहन सुविधा, उत्पादन और भंडारण की उच्च लागत तथा सुरक्षा चिंताएं(जैसा कि हाइड्रोजन एक बहुत ही ज्वलनशील तत्व होता है) आदि शामिल हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि हाइड्रोजन ईंधन उत्पन्न करने के पारंपरिक साधन जीवाश्म ईंधन पर निर्भर होते हैं। बावजूद इसके उचित व सही तरीके से उपयोग किये जाने पर हाइड्रोजन, अधिकांश सामान्यतः प्रयुक्त ईंधनों की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित व अच्छा है। आज मनुष्य ईंधन के लिए कोयला, डीजल, पेट्रोल और बिजली पर निर्भर है, ऐसे में हाइड्रोजन ईंधन आज के समय में तकनीकी नवाचार और सतत विकास की दिशा में एक बहुत प्रेरणादायक कदम के रूप में साबित हो सकता है। आज जब दुनिया में हरित गैस प्रभाव के कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या लगातार बढ़ती चली जा रही है, ऐसे में हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग भारत जैसे विकासशील देश के लिए एक स्वच्छ, सस्ता और पर्यावरणीय रूप से लाभकारी समाधान एवं एक सशक्त विकल्प साबित हो सकता है।
फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।