मानसून की बारिश के असमान वितरण से कई जिलों में भारी तबाहीमानसून की बारिश के असमान वितरण से कई जिलों में भारी तबाही

मौसम पर हावी जलवायु परिवर्तन… कहीं ज्यादा तो कहीं बहुत कम बारिश

जलवायु परिवर्तन स्थानीय मौसम पर भी हावी होता दिखाई दे रहा है। जून के अंतिम सप्ताह तक जहां कई जिले सूखे जैसे हालात से गुजर रहे थे, वहीं जुलाई की शुरुआत में अचानक तेज बारिश ने इन्हें डुबो दिया।

भारतीय मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2 जुलाई तक देशभर में औसत बारिश सामान्य से 11 प्रतिशत अधिक रही है। लेकिन यह आंकड़ा केवल सतही राहत देता है, क्योंकि असल समस्या बारिश के असमान वितरण की है। देश के 22 प्रतिशत यानी 163 जिलों में अत्यधिक बारिश (लार्ज एक्सेस) दर्ज की गई है, जबकि 14 प्रतिशत जिलों में सामान्य से अधिक (एक्सेस) बारिश हुई है। इसके उलट 30 प्रतिशत जिलों में सामान्य, 26 प्रतिशत में कम (डेफिसिट) और 8 प्रतिशत जिलों में बहुत कम (लार्ज डेफिसिट) बारिश हुई है। गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और झारखंड ऐसे राज्य हैं जहां बारिश की मार सबसे ज्यादा पड़ी है।

इन पांच राज्यों के 111 जिलों में लार्ज एक्सेस बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो देश के कुल अत्यधिक वर्षा वाले जिलों का 68 प्रतिशत है। इनमें गुजरात के 29, राजस्थान के 28, उत्तर प्रदेश के 22, मध्य प्रदेश के 17 और झारखंड के 15 जिले शामिल हैं।वर्षा का यह अनियमित और विकराल रूप खत्मे की घंटी… मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इन सभी घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मानसून का चेहरा अब स्थिर नहीं रहा। वर्षा का यह अनियमित और विकराल स्वरूप मौसम वैज्ञानिकों और नीति नियंताओं के लिए खतरे की घंटी है। यदि इसी प्रवृत्ति ने गति पकड़ी, तो आने वाले दिनों में और अधिक जिले बाढ़, भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आ सकते हैं।

पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में सप्ताह भर में तस्वीर बदली

पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में भी एक सप्ताह में तस्वीर बदल गई। हरियाणा की बारिश 24 प्रतिशत से बढ़कर 85 प्रतिशत अधिक हो गई और अंबाला, हिसार, सिरसा जैसे जिले लार्ज एक्सेस में शामिल हो गए। पंजाब, जो पिछले सप्ताह तक 25 प्रतिशत कम बारिश वाला राज्य था, अब 80 प्रतिशत अधिक बारिश झेल चुका है। हिमाचल प्रदेश में स्थिति और भी गंभीर रही, जहां राज्य औसतन 195 प्रतिशत अधिक बारिश का शिकार हुआ। मंडी जिले में एक सप्ताह में सामान्य से 482 प्रतिशत अधिक बारिश हुई और 1 जुलाई को यह आंकड़ा 1900 प्रतिशत पार कर गया, जिससे भारी तबाही हुई।

राजस्थान का पश्चिमी हिस्सा भी अछूता नहीं

राजस्थान, जहां अधिकांश जिलों में पहले से ही लार्ज एक्सेस बारिश हो रही थी, अब पश्चिमी हिस्से भी इससे अछूते नहीं रहे। श्रीगंगानगर और जैसलमेर जैसे जिले जो पहले पानी को तरस रहे थे, अब 298 और 331 प्रतिशत अधिक बारिश के साथ लार्ज एक्सेस की श्रेणी में आ चुके हैं।

साभार अमर उजाला

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