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कचरे के खतरे से आगाह करती सुश्री अलमित्रा पटेल

यहाँ –वहन- हर तरफ कचरा . यदि आज के जमाने का  दैत्य कहें तो कम नहीं होगा . पालतू जानवर हों या जंगल के जीव, पक्षी हों या इन्सान हर एक के लिए कचरा बड़ी समस्या बन गया है . आखिर कचरा उपजाया तो हमने हीहै?  एक तो कचरा कम हो, फिर इसका निबटान  अच्छे से हो . इस दिशा में सरकार और सामज को जागरूक कर रही हैं – सुश्री अल्मित्रा पटेल . 
अल्मित्रा ने केम्ब्रिज  से पढ़ाई की इंजीनियरिंग की . जब वे भारत आईं तो उन्होंने खुद को झोंक दिया  पर्यावरणबचाने के काम में . सन 1970 में वे गुजरात के गिर में शेरों को बचाने के लिए गईं . बंगलुरु की उल्सुर झील पर जब संकट आया तो तो वे वहां भी खड़ी थीं. 1991 में उनका ध्यान बढ़ते कचरे पर गया , फिर वे कचरे के निबटान के तरीकों पर काम करने लगीं. सन 1996में उनकी जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. जिसके कारण देश में कचरे को सही तरीके से निबटाने के कानून बने .लोगोंको कम लागत के आरामदेह मकान मिले जैसे विषय पर भी उनका बहुत काम है.
क्या आप इतनी जागरूक और सक्रिय सुश्री अल्मित्रा पटेल के बारे में और जानना चाहते हैं ? तो उनकी वेबसाइट पर जरुर जाएँ .http://www.almitrapatel.com/index.html



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