Site icon Indiaclimatechange

प्रदूषण

2019 में वैश्विक स्तर पर दर्ज किए गए – लगभग एक तिहाई मामले प्रदूषक पीएम 2.5 के कारण प्रदूषण के लंवे तक संपर्क से संबंधित थे। यह दावा हुए अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह चन वायु प्रदूषण और दमे के वीच – पर ‘पर्याप्त सबूत’ प्रदान करता है। दक्षिण एशियाई देशों सहित 22 देशों में -2023 तक किए गए 68 अध्ययनों मीक्षा से पता चला है कि पीएम 2.5 में माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वृद्धि चपन या वयस्क अवस्था में दमा होने खिम 21 प्रतिशत से अधिक वढ़ जाता श्वसन में समस्या संबंधी स्थिति हट, खांसी और सांस फूलने जैसे वार- ने वाले लक्षणों से चिह्नित होती है और की गुणवत्ता को गंभीर रूप से खराव कती है। मैक्स प्लैक इंस्टीट्यूट फॉर केमिस्ट्री के इस अध्ययन के प्रथम लेखक रुइजिंग नी ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि 2019 में वैश्विक स्तर पर, दमे के लगभग एक तिहाई मामले लंवे समय तक पीएम 2.5 के संपर्क में रहने के कारण आए। इनमें 6.35 करोड़ मौजूदा मामले और 1.14 करोड़ नए मामले है।’ हालांकि, साक्ष्यों से पता चला है कि लंवे समय तक सूक्ष्म कणों के प्रदूषण के संपर्क में रहना दमा होने का जोखिम वाला कारक है, लेकिन शोधकर्ताओं ने कहा कि पहले के अध्ययनों में विसंगतियों के कारण इसके संभावित स्वास्थ्य जोखिम पर वहस जारी है। हालांकि, ‘वन अर्थ’ नामक पत्रिका में प्रकाशित उनके विश्लेषण में पाया गया कि ‘लंवे समय तक पीएम 2.5 के संपर्क में रहने से वच्चों और वयस्कों दोनों में दमे या अस्थमा का जोखिम काफी वढ़ जाता है और यह वैश्विक स्तर पर अस्थमा के 30 प्रतिशत (लगभग) मामलों से जुड़ा है। अध्ययन में पाया गया कि प्रभावितों में वच्चों की संख्या सवसे अधिक है जो 60 प्रतिशत से ज्यादा है। फेफड़े और प्रतिरक्षा प्रणाली, वयस्क जीवन की शुरुआत तक पूरी तरह से परिपक्व हो जाते हैं। यही कारण है कि वच्चों को वायु प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील माना जाता है, क्योंकि इसके संपर्क में आने से वायुमार्ग में सूजन और अति-प्रतिक्रिया हो सकती है।

Exit mobile version