जैव-विविधता और पर्यावरण संतुलन को प्रभावित कर रही सांपों की तस्करी
वैसे तो सांपों के नाम से ही हर किसी को डर लगता है, लेकिन हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में सांपों की बहुत बड़ी भूमिका होती है।सांप खाद्य श्रृंखला(फूड चेन) को बनाए रखने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी हैं।
वे चूहों और अन्य कीटों की आबादी को नियंत्रित करते हैं, और बीज फैलाव में भी मदद करते हैं। दरअसल,सांप बीज खाने वाले जानवरों को अपना भोजन बनाते हैं और फिर बीजों को एक नए स्थान पर मलत्याग करते हैं, जिससे बीज फैलाव में मदद मिलती है।सांप चूहों और अन्य कीटों को खाते हैं, जो फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इस प्रकार कृषि उत्पादन में मदद करते हैं।
सांपों के ज़हर से एंटी वेनम व बहुत-सी अन्य प्रकार की दवाएं भी बनाईं जातीं हैं,जो जीवन रक्षा में काम आतीं हैं। दरअसल, सांपों के जहर(वेनम) में प्रोटीन, एंजाइम, पेप्टाइड्स और अन्य बायोएक्टिव केमिकल्स मौजूद होते हैं। इस वजह से इसे दवाएं बनाने और शराब तक बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। एक प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक में प्रकाशित एक खबर के अनुसार ‘ दुनियाभर में सांपों के जहर का कारोबार वैध और अवैध दोनों रूप से चलता है।
कानूनी रूप से सांप के जहर का इस्तेमाल दवाएं बनाने में होता है। हमारे पड़ौसी चीन में तो सांपों की खेती और कारोबार किया जाता है। जानकारी के अनुसार सांपों के जहर को फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री को बेचा जाता है।’ कोबरा, रसेल वाइपर जैसे जहरीले सांपों का जहर तो इसकी बाजार में डिमांड अधिक होने के कारण तथा तस्करी के कारण कई गुना कीमत(यहां तक कि करोड़ों में) में बिकता है।
यहां पाठकों को यह भी बताता चलूं कि हर साल 16 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व सर्प दिवस दुनिया भर में विभिन्न प्रजातियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का आग्रह करता है। प्रतिष्ठित पत्रिका ‘डाउन टू अर्थ’ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार सांपों की 3,789 प्रजातियां हैं, जो उन्हें छिपकलियों के बाद सरीसृपों का दूसरा सबसे बड़ा समूह बनाती हैं।वे 30 अलग-अलग परिवारों और कई उप-परिवारों में विभाजित हैं। बहरहाल, यह बहुत ही दुखद है कि आज सांपों की तस्करी से हथियार खरीदने, मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध कामों के लिए पैसा जुटाया जाता है।
हाल ही में सांपों की तस्करी का एक ताजा मामला प्रकाश में आया है। गौरतलब है कि सांपों की तस्करी संगठित अपराध नेटवर्क का हिस्सा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश की आर्थिक राजधानी मुंबई स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर थाईलैंड से आए एक यात्री को पकड़ा गया है, जिसके पास से केन्याई सैंड बोआ और होंडुरन मिल्क स्नेक सहित 16 जीवित सांप मिले हैं।
जानकारी के अनुसार 27 जून 2025 को( शुक्रवार रात को) थाईलैंड की राजधानी बैंकाक से मुंबई पहुंचने पर सीमा शुल्क कर्मचारियों ने यात्री को रोक लिया यात्री के सामान में 16 जीवित सांप मिले, जिनमें दो केन्याई सैंड बोआ, पांच राइनोसरस रैट स्नेक, तीन अल्बिनो स्नेक, दो होंडुरन मिल्क स्नेक , एक कैलिफोर्निया किंगस्नेक, दो गार्टर स्नेक और एक अल्बिनो रैट स्नेक शामिल थे।
एक अधिकारी के अनुसार वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो और सीमा शुल्क विभाग वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सांपों को उनके मूल देश में वापस भेजने के लिए काम कर रहे हैं। पाठकों को बताता चलूं कि इससे पहले जून-2025 के महीने में ही थाइलैंड से लौटे एक भारतीय शख्स के पास से भी 47 जहरीले सांप और 5 दक्षिण-पूर्व एशिया में पाए जाने वाले दुर्लभ कछुए(एशियाई लीफ टर्टल) बरामद किए गए थे। ब्लैक मार्केट में इनकी कीमत लाखों में है। जानकारी के अनुसार यात्री के बैग में 5 एशियाई लीफ टर्टल यानी कछुए के अलावा 3 स्पाइडर- टेल्ड हॉर्नड वाइपर और 44 इंडोनेशियाई पिट वाइपर मिले। सांपों की तस्करी का देश में यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी अनेकों बार ऐसे मामले प्रकाश में आ चुके हैं।
मसलन,सितंबर 2023 में बेंगलुरु एयरपोर्ट पर थाईलैंड से आए एक भारतीय को 70 सांपों की तस्करी करते हुए पकड़ा गया था। इनमें से 20 सांप जहरीले कोबरा के बच्चे थे। इसी प्रकार से दो साल पहले यानी कि 23 दिसंबर 2023 को मुंबई एयरपोर्ट पर बैंकॉक से आ रहे पैसेंजर के पास 11 जिंदा सांप मिले थे। इसमें से 9 पॉल पायथन और 2 कॉर्न सांप थे, जिन्हें बिस्कुट और केक के पैकेट में छिपाया गया था।
अक्टूबर 2024 में मुंबई पुलिस ने रेड सैंड बोआ स्नेक की तस्करी करने वाले 4 लोगों को पकड़ा था। इन लोगों के पास जो सांप था, उसकी कीमत करीब 30 लाख रुपए थी, लेकिन तस्कर इसके 5 करोड़ रुपए मांग रहे थे। वास्तव में, कहना ग़लत नहीं होगा कि सांपों की तस्करी न सिर्फ वन्यजीव संरक्षण कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि जैव- विविधता, हमारे पर्यावरण, कृषि और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी गंभीर खतरा है। सच तो यह है कि सांप प्रतिबंधित और संरक्षित श्रेणी के अंतर्गत आते हैं तथा अंतरराष्ट्रीय तस्करी पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं।
यहां पाठकों को यह भी बताता चलूं कि हमारे देश में सांपों की तस्करी एक गंभीर अपराध है और देश में दो कानूनों के तहत सजा मिलती है। मसलन, हमारे देश में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 लागू किया गया है। यह कानून वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके अवैध व्यापार को रोकने के लिए बनाया गया है।इसमें सांपों की अलग-अलग प्रजातियों को तीन शेड्यूल्ड यानी सूचियों में रखा गया है। गौरतलब है कि इसके तहत सापों की तस्करी के लिए 3 से 7 साल तक गैर-जमानती सजा और 25 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। इसी प्रकार से हमारे देश में कस्टम्स एक्ट 1962 को भी लागू किया गया है।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह कानून भारत में इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट को रेगुलेट करता है।भारत में जिन जानवरों का इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट बैन है, वह कस्टम एक्ट के तहत भी प्रतिबंधित होता है। गौरतलब है कि इसके सेक्शन 104 के तहत सांप के तस्कर को गिरफ्तार और तस्करी किए सांप को जब्त किया जा सकता है और इसमें 2 से 7 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
अंत में यही कहूंगा कि जैव-विविधता के संरक्षण, पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने, मानव स्वास्थ्य को बनाए रखने तथा हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत को जिंदा रखने के लिए सांपों का संरक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है। हमें यह चाहिए कि हम सांपों के संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा दें , उनके महत्व को समझें तथा उनके आवासों की हर हाल में रक्षा करें।
फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।