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अमूर बाज़ पर निशाना : बंदूक से नहीं कैमरे से (4th Aug, 3rd revision)

अमूर बाज़

अमूर बाज़

कबूतर के आकार का छोटा सा पंछी है यह, कहते हैं यह दुनिया में सबसे लंबी उड़ान भरता है । वैसे भारत इसका घर नहीं है लेकिन इसे भारत बहुत पसन्द है। यह पक्षी है- अमूर बाज़, जो सैंकड़ों के झुंड में उड़ते हैं। इनके घर साइबेरिया और उत्तरी चीन में जम कर बर्फ गिरती है। तब यह पक्षी 22 हज़ार किलोमीटर का सफर तय कर अफ्रीका, केन्या की तरफ उड़ जाता है। इतने लंबे सफर में आराम के  लिए  यह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के नगालैंड, असम और मणिपुर में सदियों से रुकते आ रहे हैं ।

दिल्ली की नेहा सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस अख़बार में पर्यावरण पत्रकार के रूप में काम शुरू किया। साथ ही वे ऐसे पक्षियों , जानवरों को बचाने की कोशिश करती जिन पर संकट हो .

सन 2012 में नागालैंड में कुछ ही दिनों में  कई हज़ार अमूर बाज़ का शिकार कर दिया गया। उस साल अफ्रीका तक अमूर बाज़ पहुँच ही नहीं पाए । तब वहां दीमक ने बहुत नुकसान किया। असल में इन बाजों का अफ्रीका में पसन्द का भोजन दीमक होते थे।

यह समाचार सुन कर नेहा सिन्हा नागालैंड के घटना वाले गांव पांगल में पहुंचीं । वहां उन्होंने समाज को बताया कि ये पक्षी तो आपके मेहमान हैं। ये उन कीटों को खा कर समाज की मदद करते हैं जो खेती को नुकसान पहुंचाते हैं।

नेहा ने इस काम के लिए राज नेताओं, धर्म गुरुओं और शिक्षकों की मदद ली। उन्होंने समाज को विश्वास दिलाया कि दुनिया में समाप्त हो रही इस प्रजाति के बाज़ को देखने पर्यटक आएंगे। इससे उनकी आय बढ़ेगी। नेहा सिन्हा के समझाने और लेखन का यह असर हुआ कि अगले साल वहां एक भी पक्षी का शिकार नहीं हुआ। अब वहां अमूर बाज़ का इंतज़ार रहता है। अब लोग इसकी शूटिंग तो करते हैं, लेकिन बंदूक से नहीं, कैमरे से।

देश के पर्यावरण को बचाने वाले कानूनों को बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाली नेहा सिन्हा ने इस पक्षी के दर्द को पहचाना। नेहा का ही प्रयास है कि अब नागालेंड के कई स्कूलों में अमूर को बचाने के क्लब बन गये हैं।

चलिए आप सब भी मिलकर अपने-अपने प्रदेशों के दुर्लभ पक्षियों की जानकारी एकत्र करें, और उनको बचाने में अपना सहयोग दें। अपने राज्यों में दुर्लभ पक्षियों की रक्षा करने वाली संस्था का पता करें।

पंकज चतुर्वेदी

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