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पानी की किल्लत से कराह रही दिल्ली

फोटो - गूगल

पानी की किल्लत ने गर्मियों में ही बढ़ा दी हैं दिल्ली वासियों की दुश्वारियाँ

मौ. वाजिद अली

कई सालों से दिल्ली को सालाना ही पीने के पानी की किल्लत से दो – चार होना पड़ता है। जिसकी वजह से दिल्ली की जनता को पीने के पानी के लिए दिल्ली जल बोर्ड द्वारा भेजे गए पानी के टेंकर पर लंबी – लंबी लाइन लगानी पड़ती हैं। पानी की वजह से लोगों के बीच झगड़ा हो जाना आम बात हो गई है। आज भी दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं जो की पीने के पानी के लिए पूरी तरह से दिल्ली जल बोर्ड पर निर्भर हैं। ऐसे में यमुना में सर्दियों के मौसम में अमोनिया का लेवल बढ़ जाने से पूरी दिल्ली को ही पानी की सप्लाई में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
इस साल की शुरूआत में ही दिल्ली की जलमंत्री आतिशी ने मुख्य सचिव को 1 जनवरी 2024 तक वजीराबाद अमोनिया रिमूवल प्लांट का काम शुरू ना होने के कारण रिपोर्ट दाखिल करने के लिए निर्देश भी दिए थे। यह भी कहा गया था की 15 जनवरी 2024 तक टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। हालांकि, इस तरह के किसी भी निर्देश का पालन नहीं किया गया।
जलमंत्री, आतिशी ने बताया था की यमुना में अमोनिया 2.8 PPM हो गया है। जिसकी वजह से वजीराबाद और चंद्रावल वॉटर प्लांट पर इसका 50 प्रतिशत सीधा असर पड़ा है। उस वक्त पूरी दिल्ली में पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई थी। औसतन प्रोडक्शन में 35 से 40 प्रतिशत की कमी आई थी। दिल्ली के लगभग एक चौथाई इलाकों पर इसका असर देखा गया था। आज भी यह समस्या जस की तस बनी हुई है। अरविंद केजरीवाल (मुख्यमंत्री) ने मार्च के महिने में DJB को अमोनिया रिमूवल प्लांट लगाने के निर्देश दिए थे। प्लांट लगाने की अवधि छः माह की थी। बार-बार कार्रवाई के बाद भी DJB प्लांट लगाने में नाकाम रही।
एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली जल बोर्ड ने इस परियोजना को शुरु ना करने के पीछे पैसो का आभाव बताया है। दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक अमोनिया रिमूवल प्लांट की लागत लगभग 30 से 35 करोड़ है। दिल्ली जल बोर्ड के कुछ अधिकारियों का कहना है की यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ने के पीछे हरियाणा के दो ड्रेन हैं। जिसमें ड्रेन न. 2 और ड्रेन न. 8 शामिल है। इन दोनों ड्रेनों में सोनीपत के कुछ इलाकों से इंडस्ट्रियल वेस्ट बिना ट्रीट किए ही यमुना में छोड़ दिया जाता है। इस तरह छोड़े गए वेस्ट के कारण ही यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाती है।
दरअसल, अमोनिया की मात्रा बढ़ने से वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को बंद कर दिया जाता है जिसकी वजह से दिल्ली के कई ईलाके जिनमें सदर बाजार, सिविल लाइंस, पुरानी दिल्ली, मुखर्जी नगर, कश्मीरी गेट, बुराड़ी, पटेल नगर, राजेंद्र नगर, करोल बाग, मजनू का टीला, बर्फ खाना, बाड़ा हिंदू राव, कमला नगर औप रूप नगर हैं इनके अलावा नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के कई इलाके भी इस फहरिस्त में शामिल हैं।
चिंता की बात यह है की जहाँ आमतौर पर इस समस्या का सामना सर्दियों में करना पड़ता था इस बार गर्मियों में भी अमोनिया की मात्रा बढ़ने से दिल्ली वासियों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। पानी की किल्लत से लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हो रही हैं। इस समस्या का समाधान केवल अमोनिया रिमूवल प्लांट ही है जिसे जल्द से जल्द तैयार करने की जरूरत है।

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