अमरेली जिले का “नाना माचियाला” गांव
अभिषेक गोंडलिया
हरित और स्वच्छ वातावरण के लिए ग्रामीणों का भगीरथ प्रयास
सौराष्ट्र क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न जगहों पर वृक्षारोपण किया जा रहा है, लेकिन इन पेड़ों की देखरेख और संरक्षण एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आती है। ऐसे में अमरेली तालुका के “नाना माचियाला” गांव ने इस दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसने हरित अभियान को एक नई दिशा दी है।

गांव के सरपंच वनराजभाई डांगर के नेतृत्व में गांव के अग्रणी नागरिकों और स्थानीय लोगों ने मिलकर पर्यावरण संरक्षण हेतु एक समर्पित प्रयास की शुरुआत की है। गांव और इसके आस-पास के क्षेत्र में कुल 5000 से अधिक वृक्षों का रोपण किया गया है। खास बात यह है कि यहां सिर्फ पेड़ लगाने तक ही सीमित नहीं रहा गया, बल्कि उनके संरक्षण और पोषण की विशेष जिम्मेदारियां भी तय की गई हैं।
इस अभियान की देखरेख के लिए “सद्भावना वृद्धाश्रम ट्रस्ट” को संपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। ट्रस्ट द्वारा वृक्षों को नियमित रूप से पानी देना, आसपास की सफाई करना और पशुओं से सुरक्षा हेतु पिंजरे लगाना जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप वृक्षों की जीवितता दर बढ़ी है और उनकी वृद्धि भी संतोषजनक हुई है।
सरपंच वनराजभाई डांगर का कहना है:
“वृक्ष सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि भविष्य की पूंजी हैं। आज जो पेड़ हम लगाते हैं, वे आने वाली पीढ़ियों को ठंडी छांव और ताजी हवा देंगे। इसलिए वृक्षों की देखभाल उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि उनका रोपण।”
गांव के किसान, युवा और महिलाएं भी इस अभियान में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। यहां तक कि स्कूल के बच्चों को भी वृक्षों की देखभाल की जिम्मेदारी देकर शैक्षणिक स्तर पर भी पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास हो रहा है।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सिर्फ हरियाली बढ़ाना नहीं है, बल्कि ग्रामीणों में पर्यावरण की गहरी समझ और जिम्मेदारी विकसित करना भी है। नाना माचियाला गांव का यह प्रयास अब अमरेली जिले और सौराष्ट्र के अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बन रहा है, जहाँ लोग सिर्फ पेड़ नहीं लगा रहे, बल्कि उनके साथ जीना भी सीख रहे हैं।
इस प्रकार, “नाना माचियाला” गांव के लोगों द्वारा सामूहिक रूप से किया गया यह वृक्षारोपण और संरक्षण का कार्य भारत के गांवों में हरित क्रांति की ओर एक सशक्त कदम सिद्ध हो रहा है।