कार्यपालिका के सामने लाचार-असहाय न्यायपालिका

किशोर सागर तालाब को कब्ज़ा मुक्त करने के मामले में एनजीटी के आदेश का पालन कराने में 31 माह में 40 पेशी – नतीजा शून्य
1 नवम्बर 2021 को पहली सुनवाई थी। अंतिम सुनवाई 20 मई को। अब नियत दिनांक 10 जुलाई 2024
(धीरज चतुर्वेदी छतरपुर बुंदेलखंड)
तारीख पर तारीख में छतरपुर प्रशासन के मुखिया कलेक्टर संदीप जी आर को व्यक्तिगत पत्र लिख अदालत नें प्रतिवेदन माँगा। कलेक्टर नें जवाब देना उचित नहीं समझा। अदालत में अवमानना का आवेदन दिया पर अदालत नें कार्यवाही नहीं की।
छतरपुर में जिला अस्पताल के परिसर में महावीर धर्मशाला की दुकान तोड़ी जाती है। कारण नये भवन निर्माण के लिये, जिसका किशोर सागर तालाब से कोई वास्ता नहीं था पर छतरपुर तहसीलदार रंजना यादव नें अदालत को गुमराह करते हुए झूठा प्रतिवेदन पेश कर अदालत की अवमानना की। इस मामले में भीं कोर्ट की अवमानना का आवेदन दिया पर कार्यवाही नहीं।
किशोर सागर तालाब की हद में निर्मित शहनाई गार्डन नें बाउंड्री का नया निर्माण किया। जिसका डायवर्सन तक नहीं है। यहाँ तक कि डायवर्सन के आवेदन में टाउन एंड प्लांनिंग नें आवेदन के सभी खसरा नंबर को तालाब की सीमा में बताया जिस आधार पर तब के एसडीएम निरंजन नें जुर्माना ठोका। उसी अवैध शहनाई गार्डन का नया निर्माण होता है। अदालत में आवेदन बाद तहसीलदार जाँच टीम से जाँच करा प्रतिवेदन पेश करती है सब ठीक है। कोर्ट भीं इस जाँच प्रतिवेदन को मान लेता है। सवाल यह उठते है कि ज़ब जिस शहनाई गार्डन का डायवर्सन ही नहीं है तो कैसे नई बाउंड्री का निर्माण हो गया।
कुल मिलाकर किशोर सागर तालाब को एनजीटी के आदेश पर कब्ज़ामुक्त करने के मामले में मूल आदेश झूठ और कोर्ट अवमानना में झूल रहा है। पिछले 31 माह में 40 पेशी हो चुकी। सुनवाई दौरान कई बार अदालत की अवमानना हुईं पर अदालत अपनी अवमानना मानने को तैयार नहीं है। अब क्यों?
अंत कि किशोर सागर तालाब को न्याय कहाँ से मिलेगा। देश के मुख्य न्यायधीश, रजिस्ट्रार,, मध्यप्रदेश के मुख्य न्यायधीश और रजिस्ट्रार व छतरपुर के सत्र न्यायधीश के पास पूरे मामले को भेजा जा रहा है कि किस तरह एनजीटी के एक आदेश को पालन कराने के लिये अदालत में न्याय भटक कर कार्यपालिका के सामने असहाय हो जाता है। बॉक्स 1 नवम्बर 2021 से 20 मई 2024 तक 40 पेशी।
31 माह – 40 पेशी

हाईकोर्ट का आदेश हुआ हवा हवाई

छतरपुर के तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिये मप्र जबलपुर उच्च न्यायालय ने दायर जनहित याचिका क्रमांक 6373/2011 में सुनवाई बाद तब के मुख्य न्यायाधीश श्री ए एम खानवेलकर की डिवीजन बेंच ने छतरपुर जिले के सभी तालाबों से अतिक्रमण हटाने का 7 अक्टूबर 2014 को आदेश दिया था। इस आदेश में छतरपुर कलेक्टर, प्रिंसिपल सेकेट्री रेवेन्यू जन शिकायत निवारण को आदेशित किया था कि 7 जनवरी 2015 तक अदालत में रिपोर्ट पेश करें। अदालत के आदेशों की किस तरह मर्यादा भंग की जाती है कि 9 साल बीतने के बाद भी छतरपुर जिले के तालाबों से कब्ज़ा नहीं हटाये गये बल्कि अतिक्रमण का रोग बढ़ता गया।

6 अक्टूबर 2023 को छतरपुर अदालत के आदेश पर कार्यवाही नहीं

6 अक्टूबर को पारित आदेश में अपर सत्र न्यायाधीश हिमांशु शर्मा ने लेख किया है कि मप्र शासन ने 28 जून 2023 को प्रस्तुत प्रतिवेदन से प्रकट होता है कि शासन ने ग्रीन ट्रिब्यूनल के 7 अगस्त 2014 के निर्देश के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की। छतरपुर कलेक्टर को सक्षम अधिकारी के माध्यम से एनजीटी के आदेश का अक्षरशः पालन कर अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही का प्रतिवेदन प्रस्तुत करना था। जिसे आज दिनांक तक नहीं किया गया। ना ही आदेश के पालन में किशोर सागर तालाब के एफटीएल एवं 10 मीटर के क्षेत्र के संबंध में ग्रीन बेल्ट के निर्माण का कोई प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। जिससे स्पष्ट है कि अनावेदकगण (कलेक्टर, नगरपालिका, प्रदूषण विभाग) द्वारा माननीय एनजीटी के आदेश दिनांक 7 अगस्त 2014 में दिये गये किसी भी निर्देश का जानबूझकर पालन नहीं किया जा रहा है।
माननीय न्यायालय ने छतरपुर कलेक्टर को एनजीटी के प्रवर्तन आदेश नम्बर 4/2 (सी. जेड.) आदेश दिनांक 20 सितंबर 2021 के पालन में निर्देशित किया है कि वह मूल आदेश 22/13 दिनांक 7 अगस्त 2014 के पालन में किशोर सागर तालाब में एनजीटी के आदेशानुसार चिन्हित स्थानों से अतिक्रमण हटवाए। माननीय न्यायालय ने सम्पूर्ण कार्यवाही का प्रतिवेदन आगामी दिनांक 24 नवम्बर 2023 के पूर्व अदालत में प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया, लेकिन इस आदेश के 7 माह बाद भीं कार्यवाही नहीं।

एनजीटी को अपने आदेश के क्रियान्वयन का इंतजार

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( एनजीटी ) ने याचिका क्रमांक ए 316/2014 मे सुनवाई बाद 17 सितम्बर 2014 को एक आदेश जारी किया था कि तालाब के मूल रकवे 8.2 एकड़ के अलावा केचमेंट एरिया से कब्जे हटाये जाये। महत्वपूर्ण तथ्य है कि तालाब से केचमेंट एरिया से 10 मीटर तक ग्रीन जोन यानि पौधरोपण करने के बाद बाकायदा फेंसिग की जाये। इस आदेश के बाद छतरपुर जिला प्रशासन ने 2015 मे कार्यवाही भी शुरू कर दी थी। कलेक्टर कार्यालय के पत्र क्रमांक 30/नजूल /2015 दिनांक 20 फरवरी 2015 जारी कर तहसीलदार, नगर निवेश कार्यालय और नगरपालिका सीएमओ को कार्यवाही के लिये आदेशित किया था।
जिसमे लेख किया गया था कि अधिवक्ता बीएल मिश्रा द्वारा एनजीटी कि याचिका क्रमांक 22/2013 के आदेश 11 फरवरी 2015 का पालन कराया जाये। सीमांकन हुए और फिर कुछ फाइलो के पुलंदे बन गये। जो केवल धूल खाने के लिये छोड़ दी गई। सरकारी भर्रे और ढर्रे का सबूत है कि किशोर सागर तालाब, उसके केचमेंट एरिया और अदालती आदेश अनुसार केचमेंट से 10 मीटर दूरी पर मकान बनते रहे पर सभी आँख खोलकर भी अंधे बने रहे। तालाब कि भूमि पर कब्ज़ा और बिना नगर निवेश कार्यालय कि अनुमति के भवन तैयार होते गये।