मैं भी जल की रानी हूँ
जीवन मेरा भी पानी है
हाथ लगाओ तो — आप ही डर जाओगे
बाहर निकालो – मुझे बाहर निकालना जरा मुश्किल है .
क्यों ?
अरे इस लिए कि मेरी लंबाई 10 मीटर से ज्यादा है और वजन 9 टन से 20 टन तक । समुद्र में मुझे मेरे रंग से भी पहचान सकते हो – हल्के नीले/भूरे रंग की त्वचा पर सफेद रंग के धब्बे.
तो जरा दिमाग पर जोर दो ! कौन हूँ मैं ??
नहीं पहचाने मुझे ?
देखो किसी गफलत में मत रहना . मेरा नाम जरुर व्हेल-शार्क है लेकिन मैं व्हेल नहीं हूँ . शार्क की एक प्रजति हूँ – पानी की दुनिया के सबसे बड़ी मछली .
हो सकता है मेरा बड़ा सा मुंह देख कर तुम डर जाओ ! सच कहें , डर तो लगेगा ही . मेरा मुंह 1.5 मीटर (4.9 फीट) तक चौड़ा खुलता है . उसमें दीखते हैं 10 फिल्टर पैड और छोटे दांतों की लगभग 350 पंक्तियाँ. 3000 दांतों तक! लेकिन मुझे समुद्र का सबसे खतरनाक दखने वाला शरीफ जानवर कहते हैं . न तो मैं किसी चीज को नोच सकती हूँ. न ही चबा सकती हूँ .
“तो फिर इतना बड़ा पेट कैसे भरता होगा ?
“हम तो समुद्र में शान से मुंह खोल कर चलते हैं . धीरे- धीर. एक घंटे में बस पांच किलोमीटर . रास्ते में जो मुंह में आ गया – उसे निगल लिया . “
“अरे – मुंह खोल कर घूमोगे तो पानी भी तो भरेगा न ! उसका क्या करते हो ?”
“मेरे मुंह में एक बार में छः हज़ार लीटर पानी आ जाता है – तुम्हारे घर पर लगी पानी की टंकी से भी ज्यादा . “
“ फिर इस पानी का क्या करते हो ?”
“ बताया था न, मेरे मुंह में पैड हैं . पानी के साथ जो खाना जाता है वह यहीं रूक जाता है . फिर पानी को मैं गलफड़ों से बाहर उछल देती हूँ . “
लेकिन हमारा जीवन खतरे में है –
एक तो पानी के जहाज से हमें बड़ा नुकसान हुआ. बड़ा सा जहाज जब चलता है तो पानी हिलता दीखता है. हम सोचते हैं यहाँ ज्यादा खाना मिलेगा . और इस तरह हमें चोट लग जाती है .
वैसे मुझ जैसे व्हेल शार्क के लिए, जीवन आसान नहीं रहा है। 90 के दशक के अंत में, गुजरात के तट पर हमें खूब निशाना बनाया गया। विशाल आकार के कारण हमें बोलचाल की भाषा में “बैरल” कहा जाता था। मछुआरे सोचते थे एक पकड में आ गई तो लाखों की कमाई. मेरे लीवर के तेल की भी अच्छी बिक्री होती थी .
होता यूँ है कि मछुआरे जब नदी में जाल फैकते हैं तो कई बार हमारे भाई बहन उसमें फंस जाते है या घायल हो जाते हैं . मछुआरे को लगता है इसके कारण उनके जाल का नुकसान होगा .
अभी भी डर लगता है कहीं डायनासोर की तरह हम भी धरती से सदा के लिए गुम न हो जाएँ .
अब तो प्लास्टिक हमारे लिए बड़ा कहता बन गया हैं . समुद्र में इतना प्लास्टिक का कचरा भर दिया है कि हमारे पेट में कई सौ किलों प्लास्टिक है . इससे भी हमारे जीवन को खतरा है . वैसे भारत में हमें सुरक्षित रखने के बहुत से प्रयास हो रहे हैं. इससे हमारी संख्या अब्धि तो है . प् अभी भी हम लुप्त हो रहे जीवों में आते हैं . वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (WTI) ने 30 अगस्त,2022 को अंतर्राष्ट्रीय व्हेल-शार्क दिवस के अवसर पर भारत के तीन राज्यों केरल , कर्नाटक और लक्षद्वीप में ‘सेव दि व्हेल शार्क कैम्पेन ‘ शुरू किया .
सन 2005 के बाद से गुजरात के समुद्र में मछुआरों ने गलती से फंसी 851 व्हेल शार्क को छोड़ा है . एक तो सरकार इ व्हेल- शार्क के शिकार के कड़े कानून बना दिए हैं . दूसरा सरकार अब व्हेल –शार्क के कारण यदि जाल का नुकसान होता है तो उसका मुआवजा देती है .
यह तो सभी जान गए हैं कि जब समुद्र में हमारी संख्या ज़्यादा रही, समुद्र में जल -जीवन और समुद्री पर्यावरण तंत्र स्वस्थ रहता है. यही वजह है कि अब दुनिया भर में हमारे शिकार को प्रतिबंधित कर दिया गया है.
व्हेल-शार्क और व्हेल के बीच अंतर
1.शार्क मछली ठंडे खून वाली, जबकि व्हेल गर्म खून वाली स्तनधारी जीव है।
2.व्हेल का आकार शार्क की तुलना में बड़ा होता है।
3.व्हेल के पास सांस लेने के लिए फेफड़े होते हैं, जबकि शार्क के पास गलफड़े(Gills) होते हैं।
4.शार्क सोती है, लेकिन व्हेल सोती नहीं बस आराम करती है।
5.व्हेल की त्वचा के नीचे मोटी वसा की परत होती है, लेकिन शार्क के पास उछाल के लिए तेल से भरा लिवर मौजूद होता है।
6.व्हेल 70 से 100 साल तक जीवित रहती है, जबकि शार्क 20 से 30 साल तक जीवित रहती है।
व्हेल- शार्क को भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत विशेष अधिसूचित जैव प्रजाति घोषित किया गया है। इसका मतलब है कि इसका अवैध शिकार करने, मारने इसकी तस्करी के लिए न्यूनतम 3 साल और अधिकतम 7 साल की सजा और ₹25000 जुर्माने का दंड दिया जा सकता है।
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