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प्रवीण पाण्डेय

राजधानी दिल्ली से प्रयागराज तक यमुना मल-जल की धारा

दिल्ली से प्रयागराज तक यमुना नदी का हाल अत्यंत चिंताजनक है। जिसका पवित्र जल मथुरा में भगवान कृष्ण ने पिया प्रभू श्री राम माता सीता वन गमन में जिस यमुना की पूजा कर यमुना पार चित्रकूट पहुंचे।रामचरितमानस लिखने के लिए जिस जल का प्रयोग स्याही में किया गया, आज वही पवित्र धारा मल-जल की धारा में परिवर्तित हो चुकी है। इसके बावजूद, यमुना के भक्त आज भी इस जल का आचमन, पूजा और स्नान किया जा रहा है।
यमुना का जल अब इतना प्रदूषित हो गया है कि यह आईसीयू में भर्ती मरीज जैसा हो गया है। स्थिति इतनी गंभीर है कि बुंदेलखंड की बेतवा और केन नदियों के पानी के मिलन के बाद ही फतेहपुर में यमुना का जल थोड़ा बहुत ठीक दिखाई देता है।
इस समस्या का एक मुख्य कारण यह है कि दिल्ली और अन्य शहरों के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) केवल कागजों पर ही काम कर रहे हैं। वास्तविकता में, ये प्लांट्स यमुना में साफ पानी छोड़ने में नाकामयाब हैं। इसका समाधान यह हो सकता है कि एसटीपी से निकलने वाले जल का पुनः उपयोग कृषि आदि कार्यों में किया जाए, बजाय इसके कि उसे यमुना में छोड़ा जाए।
यमुना की हालत सुधारने के लिए हमें तुरंत कदम उठाने होंगे। एसटीपी को वास्तविक रूप से कार्यशील बनाना होगा और पुनः उपयोग की तकनीकों को अपनाना होगा ताकि यह पवित्र नदी फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौट सके।
यमुना नदी में प्रदूषण की स्थिति एक बार फिर से सुर्खियों में है। हाल ही में आई भारी बरसात के बाद भी यमुना साफ नहीं दिख रही है। जुलाई 2024 में यमुना में सफेदी की खबरें एक बार फिर से सामने आई हैं, जिससे पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई है।
राजधानी दिल्ली, फरीदाबाद और गुड़गांव में स्थापित 30 से अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े हो गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 500 करोड़ लीटर सीवेज का ट्रीटमेंट किया जा रहा है, लेकिन यह केवल कागजी आंकड़े साबित हो रहे हैं। वास्तविकता में यमुना की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
सरकारी अधिकारी और पर्यावरण कार्यकर्ता इस समस्या के लिए विभिन्न कारणों की ओर इशारा कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एसटीपी का सही तरीके से रखरखाव न होने, प्रदूषण नियंत्रण की कमी और फंड का सही उपयोग न होने के कारण यह समस्या बढ़ रही है।
एसटीपी की नियमित देखरेख और मरम्मत नहीं होने के कारण उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। उद्योगों और अन्य स्रोतों से बिना ट्रीट किए पानी का यमुना में प्रवाह। बजट आवंटित होने के बावजूद उसका सही तरीके से उपयोग नहीं किया जा रहा है। एसटीपी की कार्यक्षमता की नियमित जांच नहीं होने से समस्याओं का पता नहीं चलता।
एसटीपी की कार्यक्षमता को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। इसके लिए सक्रिय निगरानी प्रणाली, तकनीकी सुधार, जनता की भागीदारी और उद्योगों पर सख्ती आवश्यक है।
यमुना की सफाई और उसे प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सरकार को ठोस योजना और प्रभावी कार्यान्वयन की जरूरत है। केवल बजट आवंटित करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे सही दिशा में लागू करना भी आवश्यक है।