पटाखों के धुएं से मुंबई की हवा खराब 24 घंटे में 38 फीसदी बढ़ गया प्रदूषण
दिवाली में पटाखों की आतिशबाजी से शहर में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। दिवाली से एक दिन पहले रात 12 बजे से लेकर दिवाली के दिन रात 12 बजे तक यानी इन 24 घंटों में पटाखा जलाने के चलते शहर में प्रदूषण के स्तर में औसतन 38 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है। जबकि मुंबई के कई इलाके ऐसे भी थे जहां प्रदूषण कण तत्व पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय औसत मानक को पार कर गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) के 28 वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशन से एकत्रित डेटा का पर्यावरण हित में काम करने वाली संस्था रेस्पिरेर लिविंग साइंसेज के एटलास एक्यू प्लेटफॉर्म का उपयोग करके मुंबई के पिछले दो दिनों के वायु गुणवत्ता का विश्लेषण किया गया है। इस विश्लेषण के मुताबिक पटाखा जलाने से मुंबई में वायु प्रदूषण के स्तर में काफी वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं शिवड़ी, कांदिवली पश्चिम और मालाड पश्चिम में प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 के स्तर में 70 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। दिवाली के दिन समूची मुंबई में पीएम 2.5 का औसत स्तर 79 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो राष्ट्रीय औसत 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से काफी अधिक था। जबकि दिवाली से एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर को यह स्तर 57 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक था।
अंबाला और अमृतसर सबसे प्रदूषित, दिल्ली इस बार तीसरे पायदान पर रही
राजधानी दिल्ली में आतिशबाजी करने पर पाबंदी के बावजूद दीपावली को रातभर आतिशबाजी हुई। हालांकि अच्छी बात यह रही कि लगातार हवा भी चलती रही, जो अधिकांश प्रदूषण को उड़ा ले गई। इसके बावजूद दिल्ली की हवा बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई। बीते एक दशक में 2022 के बाद यह दूसरा मौका रहा, जब दिल्ली की हवा अपेक्षाकृत बेहतर रही। इस बार दिल्ली का एक्यूआई 339 दर्ज हुआ, जो 2022 की हवा की गुणवत्ता (एक्यूआई-302) के बाद दशक में सबसे बेहतर है। इस वर्ष दीपावली के अगले दिन देश में सबसे खराब गुणवत्ता की हवा हरियाणा के अंबाला में 367 और पंजाब के अमृतसर में 350 दर्ज हुई। दिल्ली से सटे गाजियाबाद (306) और गुरुग्राम (309) में हवा ‘बेहद खराब’ श्रेणी की रही, जबकि सोनीपत (290), फरीदाबाद (202), नोएडा (274) और ग्रेटर नोएडा (258) में हवा ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज हुई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) 265 शहरों में हवा की गुणवत्ता की निगरानी करता है। उनमें दिल्ली, अंबाला, अमृतसर के अलावा बीकानेर, चंडीगढ़, गाजियाबाद, गुरुग्राम, हाजीपुर, खुर्जा, कुरुक्षेत्र, लखनऊ और मुरादाबाद में भी बेहद खराब श्रेणी (300-400 के बीच) की हवा दर्ज हुई, जबकि 85 शहरों में खराब श्रेणी की हवा चली।
मझगांव इलाके में पीएम 2.5 के स्तर में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई। दिवाली के दिन यहां पीएम 2.5 का स्तर 175.04 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया था। यहां 24 घंटे में प्रदूषण के स्तर में 105 फीसदी की वृद्धि देखी गई। इसी समय खेरवाड़ी में पीएम 2.5 का स्तर 145 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया था। महज 24 घंटे में यहां प्रदूषण के स्तर में 72 फीसदी की वृद्धि देखी गई। इसी तरह कुलाबा और विलेपार्ले में प्रदूषण का स्तर 30 अक्टूबर की तुलना में 31 अक्टूबर को क्रमशः 89.63 फीसदी और 67.93 फीसदी की वृद्धि हुई है। जबकि वर्ली में भी प्रदूषण के स्तर में 40 फीसदी की वृद्धि देखी गई है।
ऐसा क्यों… तापमान सामान्य से अधिक, हवा भी तेज थी
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अक्टूबर में उत्तर भारत में औसत तापमान सामान्य से अधिक रहा। इसलिए हवा ऊपर से चलती रही और प्रदूषण कम रहा। तापमान घटता तो हवा में गाढ़ापन बढ़ता और प्रदूषण ज्यादा रहता।
आमतौर पर दिल्ली में हवा की रफ्तार 2.5 किमी प्रति घंटा रहती है। इस दीपावली की शाम गुरुवार को हवा चार गुना यानी 12 से 16 किमी प्रति घंटा तेजी से चली। इसलिए यह दिल्ली के प्रदूषण को उड़ाकर ले गई।
इतिहास में सबसे गर्म रहा बीता अक्टूबर महीना, नवंबर महीना भी गर्म रह सकता है: 2024 का अक्टूबर मौसम विभाग के पास 1901 से दर्ज इतिहास का सबसे गर्म महीना रहा। अक्टूबर का औसत तापमान 26.92 डिग्री रहा, जो सामान्य से 1.23 डिग्री अधिक था। रात का तापमान भी सबसे अधिक 21.85 डिग्री रहा, जबकि यह 20.01 डिग्री होना चाहिए। अनुमान है कि नवंबर में भी तापमान सामान्य से अधिक ही दर्ज होगा।