गंगा बेसिन के बखिरा जलग्रहण क्षेत्र (2B3B7) में सारस क्रेन की जनसंख्या: स्थिति, चुनौतियाँ और संरक्षण का महत्व
शोध – डॉ. उमर सैफ
सारांश: यह शोध पत्र उत्तर प्रदेश के बखिरा जलग्रहण क्षेत्र में 2021 से 2024 तक सारस क्रेन (Grus antigone) की जनसंख्या गतिशीलता की जांच करता है। यह क्षेत्र की पारिस्थितिकीय महत्वता, सारस क्रेन की वर्तमान स्थिति, सामने आने वाली चुनौतियों और इस प्रतिष्ठित प्रजाति की सुरक्षा के लिए आवश्यक संरक्षण उपायों को उजागर करता है।अध्ययन अवधि के दौरान बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है । यह एक महत्वपूर्ण वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, जो सफल प्रजनन और आवास स्थितियों के बेहतर होने को इंगित करता है।
1. परिचय:
पृष्ठभूमि: सारस क्रेन, दुनिया का सबसे ऊँचा उड़ने वाला पक्षी, भारतीय संस्कृति में निष्ठा और दीर्घायु का प्रतीक है। यह आवास हानि और गिरावट के कारण असुरक्षित के रूप में वर्गीकृत है। उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में स्थित बखिरा पक्षी अभयारण्य इन क्रेनों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है।
अध्ययन क्षेत्र: बखिरा पक्षी अभयारण्य लगभग 29 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसमें एक बड़ा आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र शामिल है। यह कई पक्षी प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास प्रदान करता है, जिसमें सारस क्रेन भी शामिल है।
उद्देश्य: इस अध्ययन का उद्देश्य बखिरा जलग्रहण क्षेत्र में सारस क्रेन की जनसंख्या प्रवृत्तियों का आकलन करना, उनके आवास के खतरों की पहचान करना और संरक्षण रणनीतियों का प्रस्ताव करना है।
2. साहित्य समीक्षा:
ऐतिहासिक डेटा: पिछले अध्ययनों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सारस क्रेन की जनसंख्या में उतार-चढ़ाव दिखाया है। बखिरा पक्षी अभयारण्य को इन पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजनन और भोजन स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
संरक्षण स्थिति: सारस क्रेन को IUCN रेड लिस्ट में असुरक्षित के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। भारत में संरक्षण प्रयास आवास संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी पर केंद्रित रहे हैं।
पारिस्थितिकीय भूमिका: सारस क्रेन आर्द्रभूमि के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, कीटों की आबादी को नियंत्रित करके और पोषक तत्वों के चक्रण में सहायता करके।
3. कार्यप्रणाली:
डेटा संग्रह: 2021 से 2024 तक वार्षिक जनसंख्या सर्वेक्षण प्रत्यक्ष गणना और घोंसला निगरानी का उपयोग करके किया गया। घोंसले के स्थलों की गुणवत्ता और उपलब्धता का मूल्यांकन करने के लिए आवास आकलन किए गए।
विश्लेषण: जनसंख्या प्रवृत्तियों और पर्यावरणीय कारकों के साथ सहसंबंधों की पहचान करने के लिए सांख्यिकीय विश्लेषण किया गया।
मैदान कार्य: प्रत्येक वर्ष प्रजनन मौसम (जून से सितंबर) के दौरान मैदान कार्य किया गया। अभयारण्य के विभिन्न स्थानों पर अवलोकन किए गए ताकि व्यापक कवरेज सुनिश्चित हो सके।
4. परिणाम:
जनसंख्या प्रवृत्तियाँ: अध्ययन अवधि के दौरान बखिरा जलग्रहण क्षेत्र में सारस क्रेन की जनसंख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई। जनसंख्या गणना इस प्रकार थी: 2021 – 164, 2022 – 275, 2023 – 487, और 2024 – 605। यह एक महत्वपूर्ण वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, जो सफल प्रजनन और आवास स्थितियों को इंगित करता है।
आवास उपयोग: क्रेन को घोंसले के लिए प्रचुर वनस्पति वाले उथले आर्द्रभूमि पसंद करते देखा गया। प्रमुख घोंसले के स्थलों में न्यूनतम मानव हस्तक्षेप और पर्याप्त खाद्य संसाधनों वाले क्षेत्र शामिल थे।
खतरे: पहचाने गए प्रमुख खतरों में कृषि विस्तार के कारण आवास हानि, पास के बस्तियों से प्रदूषण और प्रजनन मौसम के दौरान मानव हस्तक्षेप शामिल हैं।
5. चर्चा:
संरक्षण चुनौतियाँ: सकारात्मक जनसंख्या प्रवृत्ति के बावजूद, चल रहे खतरे महत्वपूर्ण चुनौतियाँ पेश करते हैं। आवास गिरावट और मानव गतिविधियाँ क्रेन के प्रजनन सफलता और जीवित रहने को प्रभावित करती रहती हैं।
प्रबंधन रणनीतियाँ: प्रभावी संरक्षण रणनीतियों में आवास पुनर्स्थापन, प्रदूषण नियंत्रण और सामुदायिक भागीदारी शामिल हैं। प्रमुख घोंसले के स्थलों के आसपास बफर जोन स्थापित करना और पर्यावरण अनुकूल कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना कुछ खतरों को कम कर सकता है।
भविष्य का अनुसंधान: दीर्घकालिक जनसंख्या प्रवृत्तियों की निगरानी और संरक्षण हस्तक्षेपों के प्रभाव का आकलन करने के लिए आगे के अनुसंधान की आवश्यकता है। बखिरा में सारस क्रेन की जनसंख्या की आनुवंशिक विविधता पर अध्ययन उनके लचीलेपन और अनुकूलनशीलता में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं।
6. निष्कर्ष:
सारांश: 2021 से 2024 तक बखिरा जलग्रहण क्षेत्र में सारस क्रेन की जनसंख्या ने उत्साहजनक वृद्धि दिखाई है। हालांकि, उनके आवास के खतरों को संबोधित करने और उनके दीर्घकालिक जीवित रहने को सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।
कार्यवाही का आह्वान: संरक्षण पहलों को मजबूत करना, आवास संरक्षण को बढ़ाना और स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रयासों में शामिल करना आवश्यक है ताकि बखिरा जलग्रहण क्षेत्र में सारस क्रेन के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।
स्रोत – वन विभाग , संत कबीर नगर व् फील्ड विजिट्स
मार्गदर्शन एवं सहयोग -श्री महेंद्र सिंह तंवर , जिलाधिकारी , संत कबीर नगर , उत्तरप्रदेश
शोध – १– डॉ उमर सैफ , सयोंजक, गंगा विचार मंच, सहारांपुर ,वैज्ञानिक सदस्य, जिला गंगा संरक्षण समिति,
संत कबीर नगर, शामली व सहारांपुर,उत्तरप्रदेश
२ – प्रीती पांडे, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन एवम वनक्षेत्राधिकारी व् टीम , बखिरा राज्य पक्षी सारस क्रेन अभ्यारण्य,,संत कबीर नगर , उत्तरप्रदेश