जल-माता का आशीषजल-माता का आशीष

यदि एक दिन और पानी नहीं बरसा तो गाँव छोड़ कर ही जाना होगा .  बात 1998 की है . कम बरसात, रेगिस्तान के लिए मशहूर राजस्थान के  सीकर जले के कई गाँवों  में बुरे हालात थे . एक समाचार अखबार में छाप कि “ भूख-प्यास से हैरान गाँव वाले रोजगार के लिए गाँव छोड़ रहे हैं .”

मुम्बई के एक आलिशान मकान में रहने वाली अमला रुइयाँ की निगाहें इस खबर पर टिक गई .  कई कारखाने और व्यापार की मालकिन अमला के मन में आया- “क्यों न इन लोगों को कुछ मदद भेज दी जाए !”

“ न. न– मदद से क्या होगा ? अगले साल फिर यही हालात होंगे . मदद की जगह निराकरण सोचा जाए” . अमला जी के दिमाग ने यह कहा.

दिल और दिमाग की खींचतान में जीत दिमाग की हुई . वे सीधे सीकर जिले के रामगढ़ गाँव में पहुँच गई . देखा – यहाँ कोई नदी है नहीं, तालाब है नहीं . बरसात भी बहुत कम होती है . संकट तो पानी का ही है .

 एक ही हल बरसात का पानी रोकना होगा – देखा गाँव के आसपास कुछ बरसाती नाले हैं . बारिश हुई, इनमें पानी आता है और फिर कुछ ही दिनों में सूखा.

अमला नेबारिश की हर बूँद को बाँधने की सोची . वे जानती थीं कि जमीन के नीचे के पानी का खजाना बढ़ानें के लिए सूखी धरती को हरा-भरा बनाने का नायाब तरीका है, चेकडैम यानी की लघुबांध

गाँव वालों को मनाया गया .”आपबाहर मजदूरी करने जाते हैं . चलो मजदूरी हम देंगे . आप लोग यहीं काम करो .”

ऐसे ही एक बरसाती नाले पर पहले मिटटी डाल कर कच्चा चेक डेम बनाया गया . पहले बरसात में यह बाँध भर गया . बाँध में सारे साल पानी रहा तो गाँव के कुए भी नहीं सूखे .

बात गाँव-गाँव पहुंची और अमला जी का उत्साह भी बढ़ गया .उनकी संस्था ने 2006 से 2022 तक 600 चेक डैम बनाए हैं।इससे 378 गांवों में 7,14,880 लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए ।  इस काम में होने वाले खर्च का तीस प्रतिशत खुद ग्रामीण वहन करते  हैं ,जबकि शेष राशि श्रीमती अमला रूईया की संस्था का हिस्सा होता है ।

छोटी सी कोशिश के बड़े फायदे     0 किसान हर साल अब तीन फसलें लेता है 0 खेती योग्य भूमि साल दर साल बढ़रही है। 0  पशुपालन से मुनाफा हो रहा है । 0 अब गाँव के लोग पलायन नहीं कर रहे, बल्कि शहर मजदूरी करने ज्ञे लोग गाँव वापिस आ रहे हैं । 0 औरतों को अब घर के काम के लिए पानी लाने में घंटों मेहनत नहीं करना पड़ता । 0 लड़कियां अब स्कूल जा रही  हैं। 0 पानी है तो स्वास्थ्य और स्वच्छता में भी सुधार हुआ । 0 पर्यावरण बहाल हो गया है.  

प्यारे साथियों , यदि आपको भी अपने गाँव की तस्वीर बदलनी है तो सबसे पहले वहाँ के तालाब, जोहड़ , पुराने बांध या छोटी नदी को सहेजना शुरू करें । उसकी सफाई करें , वहाँ गंदा पानी न जाये इसके प्रयास करें ।