भीषण गर्मी का कहरभीषण गर्मी का कहर

देश में भीषण गर्मी का कहर बरपा हुआ है । अब भीषण गर्मी की चपेट में भारत के 417 जिलों के लिए जोखिम बन गई है, जहां देश की 76 फीसदी आबादी रहती है। भारतीय मौसम विभाग ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान में हीटवेव अलर्ट, जबकि दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों के लिए बारिश की चेतावनी जारी की है। वहीं काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की ‘हाउ एक्सट्रीम हीट इज इंपेक्टिंग इंडिया: असेसिंग डिस्ट्रिक्ट लेवल हीट-रिस्क’ अध्ययन में सामने आया है कि गर्मी के सर्वाधिक जोखिम वाले शीर्ष दस राज्यों में आंध्र प्रदेश, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और दिल्ली शामिल हैं।

35 संकेतकों के आधार पर तैयार की है रिपोर्ट

सीईईडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में 35 संकेतकों के आधार पर भारत के 734 जिलों का अपनी तरह का पहला कंपोजिट हीट रिस्क असेसमेंट पेश किया है । यह मूल्यांकन 1982 से 2022 तक जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी के जोखिम के रुझानों में आए बदलावों की विस्तृत जानकारी देता है।

जिलों में गर्मी का स्तर

स्तरजिलों की संख्या
बहुत अधिक जोखिम वाली गर्मी 417
मध्यम जोखिम वाली गर्मी201
कम जोखिम वाली गर्मी 116

पिछले दशक में मुंबई में 15 और जयपुर में 7 बहुत गर्म रातों की बढ़ोतरी

रिपोर्ट के मुताबिक 1982-2011 की तुलना में पिछले दशक (2012-2022) में लगभग 70 फीसदी जिलों में प्रत्येक गर्मी में पांच से अधिक बहुत गर्म रातों की वृद्धि देखी गई है। इसके विपरीत करीब 28 फीसदी जिलों में बहुत गर्म दिनों में इस तरह की वृद्धि देखी गई है। गर्म दिनों की तुलना में गर्म रातें तेजी से बढ़ रही हैं। इससे इंसानी शरीर को दिन के समय की गर्मी से रात के दौरान राहत पाने में समस्या आ रही है । पिछले दशक में मुंबई निवासियों ने पहले तीन दशकों की तुलना में प्रत्येक गर्मी में 15 से अधिक बहुत गर्म रातों का सामना किया है। जबकि जयपुर ने सात और चेन्नई ने चार बहुत गर्म रातों की वृद्धि देखी।

इसे माना है बहुत गर्म रात

बहुत गर्म रातों को उन रातों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जब तापमान असामान्य रूप से उच्च -यानी अतीत में 95 प्रतिशत समय तक सामान्य तापमान वाली रातों की तुलना में ज्यादा गर्म रहता है।

दिल्ली, जयपुर, वाराणसी जैसे सूखे शहरों में उच्च आर्द्रता

पिछले एक दशक में सिंधु-गंगा के मैदान में सापेक्षिक आर्द्रता 10 फीसदी तक बढ़ गई है । आम तौर पर समुद्र तटीय क्षेत्रों में 60-70 प्रतिशत सापेक्षिक आर्द्रता दर्ज की जाती है, जबकि ऐतिहासिक रूप से उत्तर भारत में यह स्तर लगभग 30-40 फीसदी रहता था । लेकिन पिछले एक दशक में यह बढक़र 40-50 प्रतिशत हो गया है। दिल्ली, चंडीगढ़, कानपुर, जयपुर और वाराणसी जैसे पारंपरिक रूप से सूखे शहरों में अब उच्च आर्द्रता स्तर देखा जा रहा है। आर्द्रता ‘महसूस’ होने वाले तापमान को काफी बढ़ा देती है, कभी-कभी यह दर्ज वायु तापमान की तुलना में 3-5 डिग्री सेल्सियस अधिक होता है, जिससे मध्यम स्तर की गर्मी भी अधिक खतरनाक हो जाती है। शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने पर पसीना आना उसे ठंडा रखने की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसे उच्च आर्द्रता बाधित करती है।

यह बातें चिंताजनक

-बहुत गर्म रातों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि

-उत्तरी भारत में विशेष रूप से सिंधु-गंगा के मैदान में सापेक्षिक आर्द्रता का बढऩा

-दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, भोपाल, जयपुर और भुवनेश्वर जैसे घने, शहरी और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण जिलों में गर्मी का जोखिम बहुत अधिक

स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक

अर्बन हीट आइलैंड, जो दिन के समय गर्मी सोख लेते हैं और रात के समय छोड़ते हैं, इसका ट्रेंड बढ़ रहा है। इसके शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में लोगों, खासकर बुजुर्गों, खुले में काम करने वाले श्रमिकों, बच्चों और उच्च रक्तचाप व मधुमेह जैसी बीमारियों का सामना करने वाले, के स्वास्थ्य पर गंभीर परिमाण सामने आते हैं।

हीट रिस्क इंडेक्स में टॉप टेन राज्य

स्थानराज्य
1आंध्रप्रदेश, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली
2गुजरात
3राजस्थान
4कर्नाटक
5तमिलनाडु
6उत्तर प्रदेश
7बिहार
8तेलंगाना
9मध्यप्रदेश
10पंजाब

हीट रिस्क में मध्यप्रदेश के टॉप 18 जिले, जहां सबसे अधिक गर्मी

इंदौर, भोपाल, पश्चिम निमार, उज्जैन, धार, शाजापुर, देवास, पूर्व निमार, छिंदवाड़ा, बडवानी, सीहोर, रतलाम, मंदसौर, होशंगाबाद, बेतुल, राजगढ़, रायसेन और जबलपुर।

हीट रिस्क में राजस्थान के टॉप 7 जिले

जयपुर, बाड़मेर, जालौर, उदयपुर, झालावाड़, पाली और चित्तौडग़ढ़।

अब शहर स्तरीय हीट एक्शन प्लान की जरूरत

गर्मी की समस्या अब भविष्य में आने वाला खतरा नहीं है, बल्कि आज के समय की सच्चाई है। जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से अनियमित होता मौसम – कुछ क्षेत्रों में रिकॉर्ड गर्मी है। हम अब तेज, लंबे समय तक रहने वाली गर्मी, आर्द्रता में बढ़ोतरी और खतरनाक रूप से गर्म रातों के समय में प्रवेश कर रहे हैं। अब हमें तत्काल शहर-स्तरीय हीट एक्शन प्लान पर ध्यान देने की जरूरत है। दिन के तापमान से आगे सोचने और आंकड़ों के आधार पर कदम उठाने की भी आवश्यकता है, जो बताता है कि सूरज ढलने के साथ गर्मी का खतरा टल नहीं जाता है।

-डॉ. अरुणाभा घोष, सीईओ, सीईईडब्ल्यू

राजस्थान पत्रिका से साभार

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