जंगली आग के लिए मानवीय गतिविधियां ही अधिक जिम्मेदार हैं ।जंगली आग के लिए मानवीय गतिविधियां ही अधिक जिम्मेदार हैं ।

मानवीय गतिविधियां ही अधिक जिम्मेदार हैं ।

सुनील कुमार महला

        आग से धरती की उर्वरा शक्ति को भी बड़ा नुक़सान होता है । वास्तव में, जंगल की आग एक अनियोजित, अवांछित आग होती है ।  जो किसी प्राकृतिक क्षेत्र जैसे कि जंगल, घास के मैदान या मैदान में जलती है । कहना ग़लत नहीं होगा कि जंगल की आग अक्सर विभिन्न मानवीय गतिविधियों या बिजली गिरने जैसी प्राकृतिक घटना के कारण होती है, और यह कभी भी या कहीं भी हो सकती है। हाल ही में, अमेरिका के लॉस एंजिलिस में चहुंओर फैल रही जंगल की भयानक आग अमेरिकी फिल्म उद्योग के प्रतीकात्मक केंद्र हॉलीवुड हिल्स के करीब पहुंच गई। यह आलेख लिखे जाने तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका है और सैकड़ों दमकलकर्मी, हेलिकॉप्टर इसे बुझाने में लगातार जुटे हुए हैं ।

      ख़बरें आ रही हैं कि अब तक आग से सात लोगों की मौत हो गई है और 1.3 लाख से अधिक लोगों को अन्य स्थानों पर जाने का आदेश दिया गया है। कितनी बड़ी बात है कि आग से अब तक 52 से 57 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है, जो कि एक बहुत बड़ी क्षति है। ख़बरें यह भी आ रहीं हैं कि इस जंगली आग से बिली क्रिस्टल, मैंडी मूर, कैरी एल्वेस और पेरिस हिल्टन समेत विभिन्न हस्तियों के घरों समेत हजारों इमारतें जलकर राख हो गई हैं। बताया जा रहा है और प्रशांत तट से लेकर पासाडेना तक शहर तबाह हो गया है। कहना ग़लत नहीं होगा कि लॉस एंजिलिस के इतिहास में यह सबसे विनाशकारी आग है।

        आग से हवा में धुएं और राख के बादल बन गए हैं। तेज़ हवाओं और पानी के कारण आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया है। इस संबंध में कई राज्यों से अग्निशमन कर्मियों को कैलिफोर्निया बुलाया गया है। धुएं, तेज लपटों से बुरा हाल हो गया है और लोगों को सांस लेने तक में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि दक्षिणी कैलिफोर्निया में करीब 3.1 लाख घरों एवं प्रतिष्ठानों की बिजली आग के कारण गुल हो गई है और इनमें से आधे लॉस एंजिलिस काउंटी के बताए जा रहे हैं।

       आग लगभग 28 हजार एकड़ के क्षेत्र को अपनी चपेट में ले चुकी है। इस संबंध में, राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी इटली यात्रा रद कर दी है और कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम के साथ बैठक की है। गवर्नर का कहना है कि आग पर काबू पाने के लिए 1,400 से अधिक अग्निशमन कर्मियों को लगाया गया है। यहां तक कि इस आग के कारण कई हॉलीवुड स्टूडियो ने अपना काम तक रोक दिया है। गौरतलब है कि आग लगने की घटना से लगभग 72 घंटे पहले ही हॉलीवुड के सबसे बड़े सितारे गोल्डन ग्लोब्स के रेड कार्पेट पर चलने के लिए एकत्र हुए थे, लेकिन आग लगने के बाद यह समारोह ठंडा पड़ गया है।

       ख़बरें यह भी आ रहीं हैं कि ‘बैटर मैन’ और ‘द लास्ट शोगर्ल’ के प्रीमियर भी रद्द कर दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि आग की भयावहता के चलते स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवा‌र्ड्स के नामांकन की घोषणा लाइव कार्यक्रम के बजाय प्रेस बयान के माध्यम से की गई। यहां तक कि एएफआइ अवा‌र्ड्स जैसे सप्ताहांत के कार्यक्रमों के साथ ही आस्कर नामांकन भी दो दिन के लिए स्थगित कर दिया गया है, जो 19 जनवरी को होगा। क्रिटिक्स चाइस अवा‌र्ड्स का आयोजन भी अब 26 जनवरी को होगा।

      आग के मद्देनजर दक्षिण कैलिफोर्निया के 1.7 करोड़ लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि सामान्य तौर पर आग के लिए ईंधन, ऑक्सीजन और ताप की जरूरत होती है। जब भीषण/तेज गर्मी पड़ती है, तब जंगल में आग लगाने के लिए हल्की सी चिंगारी ही पर्याप्त होती है। कभी-कभार जंगलों के बीच से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक्स भी जंगलों की आग के लिए जिम्मेदार घटक बन जाते हैं, क्यों कि रेलगाड़ी के पहियों के घर्षण से चिंगारी पैदा हो सकती है। जंगली सूखा ईंधन जैसे सूखे पेड़ों की टहनियां,पत्ते,घास तथा सूरज की तेज किरणें भी कभी-कभी आग का कारण बनते हैं।

           मानवीय गतिविधियां जैसे कैंप फायर, जलती हुई बीड़ी-सिगरेट, माचिस की जलती तिल्ली फेंक देना तथा जंगली जानवरों को भगाने के लिए पटाखों का इस्तेमाल भी आग का कारण बन जाते हैं। अध्ययन बताते हैं कि दस में से नौ आग इंसानों के कारण लगती हैं।कहना ग़लत नहीं होगा कि जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से बदलता मौसम दावानल की घटनाओं की संख्या को बढ़ाने के काफी हद तक जिम्मेदार है।

           कम बारिश होना, सूखे जैसे हालात बनना, गर्म हवाओं यानी लू का ज्यादा चलना और जैसा कि ऊपर बता चुका हूं कि भीषण गर्मी भी दावानल के लिए जिम्मेदार घटक हैं।आज प्रकृति का अंधाधुंध व अप्राकृतिक दोहन करने से वातावरण, हमारी पारिस्थितिकी का संतुलन बिगड़ गया है, इससे दावानल का खतरा लगातार बढ़ रहा है। बहरहाल, जंगली आग एक भयंकर त्रासदी है,जो जान-माल, स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है।

          उल्लेखनीय है कि कैलिफोर्निया के जंगलों में आग अमूमन जून से अक्टूबर के महीनों के बीच फैलती है, लेकिन इस बार जनवरी के महीने में ही आग की भयावहता अपने चरम पर दिख रही है, और ऊपर से सेंटा एना नामक तेज हवाओं ने भी जिस तरह से आग पर काबू पाना मुश्किल बनाया हुआ है, वह वाकई घोर चिंताजनक है। यह बहुत गंभीर और चिंताजनक है कि बेहद उच्च स्तरीय इंतजामों के बावजूद अरबों डॉलर का नुकसान हो चुका है ।

          बहरहाल, सच तो यह है जंगली आग जीवन, संपत्ति और हमारे बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों के लिए खतरा हैं। ऐसा नहीं है कि जंगलों की आग को रोका नहीं जा सकता है। कुछ एहतियाती कदम उठाकर जंगली आग पर काबू पाया जा सकता है। वास्तव में जंगली आग को रोकने के लिए सभी लोगों को सामूहिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए, जैसा कि आग से हुए नुकसान से उबरने में जंगलों को दर्जनों या सैकड़ों साल लग सकते हैं। मसलन, दावानल को रोकने के लिए जंगल में बीच-बीच में गड्ढे खोदे जा सकते हैं ताकि आग फैल नहीं पाए।

           साथ ही जंगलों से चिंगारी पैदा करने वाली सभी चीजों को हटाकर आग पर काबू पाया जा सकता है। हमें यह चाहिए कि हम मौसम और सूखे की स्थितियों की जांच करें और गर्मी, शुष्कता और हवा चलने पर ऐसी कोई भी गतिविधि करने से बचें, जिसमें आग या चिंगारी शामिल हो। यदि कैंप फायर करना है तो खुले स्थान पर करें। अपने कैंप फायर को तब तक बुझाते रहें जब तक वह ठंडा न हो जाए। हमें यह बात अपने जेहन में रखनी चाहिए कि आग एक शक्तिशाली शक्ति है, और इस तरह, यह पूरी तरह से अप्रत्याशित हो सकती है।

           चिंगारी जले हुए ढेर से निकलकर सूखे, ज्वलनशील ईंधन के ढेर में जा सकती है, जिससे कुछ ही समय में नई आग लग सकती है। जंगलों में वाहनों को सूखी घास से दूर रखें, क्यों कि वाहन और उपकरण अपने निकास से चिंगारी निकाल सकते हैं। इतना ही नहीं,हम वाहन सुरक्षा का नियमित अभ्यास करें और आग बुझाने के लिए अपने वाहन में फावड़ा, बाल्टी और अग्निशामक यंत्र रखें। अपने ट्रेलर के टायर, बियरिंग और एक्सल की जांच करें।

         हमें यह चाहिए कि हम यह सुनिश्चित करें कि हम कभी भी सूखी वनस्पति के पास ऐसे उपकरण न चलाएँ जो चिंगारी पैदा करते हों।आतिशबाजी का उपयोग करने से पहले शर्तों और नियमों की जांच करें या सुरक्षित विकल्पों पर विचार करें।मलबे को सावधानीपूर्वक जलाएं और ऐसा कभी भी न करें जब हवा चल रही हो या सीमित स्थान हो।ज्वलनशील पदार्थों को जंगल में न ले जाएं और उनसे दूर रहें। इतना ही नहीं, गर्मी और आग से सावधान रहना चाहिए।

          आग लगने पर हवा की भूमिका के बारे में जानकारी रखना भी आवश्यक है। अग्निशमन समाधान भी हमारे पास होने बहुत जरूरी हैं। वनों में नो-बर्न विकल्पों मसलन बैटरी से चलने वाली मोमबत्तियों और अन्य ज्वाला रहित उत्पादों का उपयोग किया जा सकता है। जंगलों में हो सके तो धुम्रपान न करें और यदि बहुत ही जरूरी ही हो गया है तो एक जिम्मेदार धुम्रपानकर्ता बनना चाहिए। बहरहाल, कहना चाहूंगा कि आज मानव लगातार प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है। प्रकृति से खिलवाड़ करने के कारण आज में जलवायु में अनेक परिवर्तन आए हैं।

          जलवायु परिवर्तन के कारण ही न केवल विदेशों में अपितु भारत में भी आमजन को चरम मौसमी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। भारत में भी वनों में आग की घटनाएं सामने आती रही हैं। पिछले साल ही उत्तराखंड में लगी विनाशकारी जंगल की आग ने सेटेलाइट इमेज के माध्यम से भयानक क्षति के साथ दुनिया का ध्यान खींचा था। कहना ग़लत नहीं होगा कि पिछले ही वर्ष उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग से सैकड़ों एकड़ जंगल तबाह हो गए थे।

           जंगली आग हर साल, जंगलों, वन्यजीवों और लोगों के जीवन को तबाह कर देती है। दूसरे शब्दों में कहें तो दावानल (जंगली आग) परिवहन, संचार, बिजली और गैस सेवाओं और जल आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के क्षेत्रों को बाधित कर सकती है।यह वायु की गुणवत्ता में गिरावट और संपत्ति, फसलों, संसाधनों, जानवरों और लोगों की हानि का कारण भी बनती है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2001 से, भारत ने 38.1 किलो हेक्टेयर वन क्षेत्र को जंगल की आग के कारण खो दिया। लिहाजा कैलिफोर्निया की यह आग भारत जैसे विकासशील देशों के साथ ही दुनिया के तमाम अन्य देशों के लिए भी एक चेतावनी है। हमें जंगलों की आग रोकने की दिशा में अपने यथेष्ठ प्रयास करने होंगे।

फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड ।