जलवायु परिवर्तन पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की कार्य योजनाजलवायु परिवर्तन पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की कार्य योजना

अंडमान द्वीप समूह, बंगाल की खाड़ी में भारत के सबसे नज़दीक चेन्नई से करीब 1,200 किलोमीटर दूर है.  यह समूह उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पूर्व दिशा में करीब 780 किलोमीटर तक फैला हुआ है. अंडमान द्वीप समूह को तीन ज़िलों में बांटा गया है: साउथ अंडमान, निकोबार, और नार्थ एवं मिडिल अंडमान. अंडमान द्वीप समूह की राजधानी पोर्टब्लेयर है. अंडमान द्वीप समूह की ऊंचाई समुद्र तल से 732 मीटर है. अंडमान द्वीप समूह के सबसे ऊंचे बिंदु सैडल पीक (732 मीटर) और माउंट थुलियर (642 मीटर) हैं. अंडमान द्वीप समूह में कम से कम 11 मिट्टी के ज्वालामुखी हैं. बैरन द्वीप, भारतीय उपमहाद्वीप का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है. अंडमान द्वीप समूह की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, लेकिन समुद्री हवाओं द्वारा नियंत्रित होती है. अंडमान द्वीप समूह में 92% संरक्षित वन और 86% आरक्षित वन हैं.अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जलवायु परिवर्तन के खतरों से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले इलाकों में से एक है. यहां जलवायु परिवर्तन के कारण कई तरह की समस्याएं हो रही हैं, जिनमें से कुछ ये हैं:

समुद्र स्तर बढ़ने की आशंका

चक्रवातों की तीव्रता बढ़ना

बारिश के पैटर्न में बदलाव

प्रवाल विरंजन

पानी की कमी

भूकंप और सुनामी का खतरा

भूस्खलन की आशंका

आज हम इसी द्वीप समूह के द्वारा तैयार जलवायु परिवर्तन एक्शन प्लान की रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहें हैं ।

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