संरक्षणः नदियों पर अतिक्रमण से देश की जल सुरक्षा खतरे में...संरक्षणः नदियों पर अतिक्रमण से देश की जल सुरक्षा खतरे में...

हाईकोर्ट ने लिया प्रसंज्ञान, बोला… ऐसे तो कैप्सूल में ही दिखेगा पानी

राज्य में सीएस और जिले में कलक्टर की अध्यक्षता की कमेटी बनाएं

जयपुर हाईकोर्ट ने नदियों व अन्य जलस्रोतों पर अतिक्रमण पर चिंता जताते हुए कहा कि पूर्वजों ने नदियों में पानी देखा, हमने नलों में देखा और अगली पीढ़ी बोतलों में पानी देखेगी। गंभीर प्रयास नहीं किए तो नई पीढ़ी कैप्सूल में पानी देखेगी। कोर्ट ने जलसंकट पर गंभीरता दिखाते हुए केन्द्र सरकार के जलशक्ति एवं वन- पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालयों के सचिव, मुख्य सचिव, गृह व जलदाय विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों (एसीएस) को नोटिस जारी का आदेश दिया। अधिकारियों से पूछा है कि राज्य व जिला स्तर पर कमेटियां बनाकर नदियों व जलस्रोतों के पास अतिक्रमण रोकने के लिए क्या प्रयास किए तथा इस संबंध में बनाए कानूनों, नियमों व विनियमो की पालना के लिए क्या किया? इस बारे में रिपोर्ट पेश की जाए। अब सुनवाई 18 नवम्बर को होगी।

न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने नदियों, झीलों और जल स्रोतों को अवैध निर्माण और अतिक्रमण से संरक्षण के लिए स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर यह आदेश दिया। कोर्ट ने राजस्थान पत्रिका में 18 अक्टूबर को ‘नदियों के किनारे कब्जा किनका… सिकुड़ती नदियां और जलीय जीव पूछ रहे’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार के आधार पर प्रसंज्ञान लिया। कोर्ट ने नदियों, झीलों व जलस्रोतों के पास अतिक्रमण को लेकर टिप्पणी कि कोई प्राणी पानी के बिना जीवित रहने की कल्पना भी नहीं कर सकता।

कोटा प्रभावित होने वाली नदियों में चंबल भी शामिल है।

पूछा, क्यों न इस बारे में दें आदेश…

■ सीएस की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति का गठन कर जल संरक्षण योजनाओं की निगरानी की जाए।

■ हर जिले में संभागीय आयुक्त व कलक्टरों की कमेटी का गठन कर नदी, झील, तालाब व अन्य जलस्रोतों के अतिक्रमण से संरक्षण करें।

■ नदी, जलस्रोतों के बहाव क्षेत्र से अवैध निर्माण हटाकर मूल स्वरूप में लाएं।

■ नदी व जलस्रोतों को कानूनी संरक्षण प्रदान किया जाए।

■ नदी संरक्षण जोन विनियम 2015 की अधिसूचना तत्काल जारी हो।

ये करेंगे कोर्ट का सहयोग

कोर्ट ने मुख्य सचिव, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय व अन्य को आदेश की कॉपी भिजवाई है। साथ ही, कोर्ट ने इनसे आदेश की पालना सुनिश्चित करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता शैलेश प्रकाश शर्मा, सिद्धार्थ बापना व आयुष सिंह, अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल आर डी रस्तोगी व महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद सुनवाई के दौरान न्यायालय का सहयोग करें।

फाइल

नदियों के किनारे कब्जा किनका…. पूछ रहे सिकुड़ती नदियां और जलीय जीव

खबर का असर

महत्वः नदियों से जलवायु सामंजस्य

कोर्ट ने कहा कि भले नदियां

पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल का छोटा सा हिस्सा हैं, लेकिन दुनिया में भौगोलिक विशेषताओं और जलवायु के साथ सामंजस्य स्थापित करती हैं। नदियां सिंचाई, कृषि, पेयजल, ऊर्जा व परिवहन के प्रमुख स्रोत हैं, वहीं इनका सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्व है। नदियां मछली, पौधे व वन्यजीवों सहित विभिन्न प्रजातियों के लिए रहने को जगह देती हैं, वहीं शहरों और कृषि क्षेत्रों के पास बह रही नदियां स्थानीय जलवायु को नियंत्रित करती हैं। इसके अलावा नदियों से भाप बनकर उड़ रहा पानी नमी और वर्षा को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।

■ नदी व जलस्रोतों व उनके बहाव क्षेत्रों में वन संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अवैध निर्माण तत्काल रोके जाएं।

नदी व जलस्रोतों और उनके बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण व अवैध निर्माण पर निगरानी के लिए सेटेलाइट, ड्रोन व हवाई सर्वे व ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए नियंत्रण कक्ष व निवारण तंत्र।

■ जागरूकता के लिए केन्द्र व राज्य सरकार वेबसाइट शुरू करें और उस पर जिम्मेदारों के नंबर सार्वजनिक किए जाएं, टोल नंबर स्थापित हो।

चुनौतियांः पर्यावरण और इंसान दोनों से

कोर्ट का कहना है कि नदियां पास की कृषि भूमि को पानी उपलब्ध कराकर खाद्यान्न उत्पादन में योगदान देती हैं, जिससे दुनिया को भोजन मिलता है। नदियों के किनारे भी कृषि के लिए उपजाऊ भूमि मिलती है।

साभार – पत्रिका